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अल्पज्ञात भाषाओँ का प्रलेखन : विमर्श एवं माध्यम, केंद्रीय भाषा संस्थान, मैसूर
‘अल्पज्ञात भाषाओँ का प्रलेखन: विमर्श एवं माध्यम’ नामक राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन १३ फरवरी को सेल संस्था की अध्यक्ष (अवैतनिक) डॉ कविता रस्तोगी ने भाषा पुनरुत्थान: समस्याएँ एवं समाधान, विषय पर बोलते हुए भाषा पुनरुत्थान के विविध प्रारूपों की जानकारी श्रोताओं को दी. राजी भाषा पुनरुत्थान में आने वाली समस्याओं से शोध कर्ताओं को परिचित करते हुए उन्होंने बताया कि भाषा पुनरुत्थान एक अत्यंत दुरूह कार्य है, जिसके लिए सोच, समर्पण, मेहनत, जानकारी के साथ भाषिक समुदाय की अभिवृति, इच्छा और सहयोग भी आवश्यक होता है. उनका मानना है कि भाषा पुनरुत्थान का कार्य उस ही शोधकर्ता को करना चाहिए जो भाषाविद होने के साथ-साथ समाज सेवी के रूप में भी कार्य करने के लिए तैयार हो.