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सिलाई मशीन व सुई के बिना बताया मास्क बनाना (लखनऊ/VMN) SARS-COVID19 के खिलाफ चल रही लड़ाई में अब देश की 32 भाषाएं भी जुड़ गईं हैं। दरअसल ऐसे समुदाय जिनको हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं है और वह अपनी ही क्षेत्रीय भाषा जानते हैं अतः उन तक कोरोना वायरस से बचने के उपाय पहुंचाने के लिए उनकी ही भाषा में जानकारी उपलब्ध कराने का अभियान शुरु किया गया है। यह अभियान शुरु किया है लखनऊ विश्वविद्यालय की भाषा विज्ञान विभाग की प्रोफेसर कविता रस्तोगी ने। उन्होंने हाल ही में 32 भाषाओं में कोरोना वयरस से निपटने के लिए 6 बिंदुओं पर चित्र सहित जागरूकता सन्देश का प्रचार प्रसार पम्पलेट के माध्यम से शुरु कराया है।
इसी के साथ एक वीडियो भी सभी 32 भाषाओं में जारी किया है जिसमें बिना सुई व मशीन के मास्क बनाना सिखाया जा रहा है ताकि आदिवासी समुदाय भी कोरोना महामारी से लड़ सकें। उन्होंने बताया कि वह यह कार्य अपनी NGO सोसाइटी फ़ॉर एंडेन्जेर्ड एंड लैसर नोन लैंग्वेजेज की टीम के साथ मिलकर कर रही हैं और उसी सन्देश पर जागरूकता अभियान चला रही हैं जो भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा दिये गए हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस से बचने के उपाय व अन्य सूचना उत्तरी और उत्तर पूर्वी भारत के 32 क्षेत्रीय और लुप्तप्राय भाषाओं में अनुवादित किया है। यह भाषाएं उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, असम, कन्नड़, बंगाली, भोजपुरी, उड़िया, छत्तीसगढ़ और मेघालय के विभिन्न प्रान्तों में बोली जाती है। प्रो रस्तोगी ने बताया कि क्षेत्रीय और लुप्तप्राय भाषा बोलने वाले समुदाय के लोगों को covid19 के विषय में उन्हीं की भाषा में सूचना पहुँचाना अति आवश्यक है क्योंकि यह समस्या बहुत ही ज्यादा गंभीर है और इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार इन्फॉर्मेशन ही है। प्रो रस्तोगी अवधी, भोजपुरी, कुमाऊनी, गढ़वाली आदि भाषाओं के समुदायों के साथ काम करने वाले लोगों से संपर्क में हैं और इस कोशिश में कार्यरत हैं कि कितनी जल्दी इन सभी समुदायों के लोगों तक COVID19 से लड़ने और बचने के विषय में सूचना पहुंचाई जा सके। प्रो रस्तोगी ने यह भी बताया कि जब कि 32 भाषाओं में काम पूरा हो चुका है। पूर्वोत्तर और पश्चिमी भारत की क्षेत्रीय भाषाओं पर काम अभी वह और उनकी टीम कर रही है। साथ ही प्रो रस्तोगी ने बताया कि इन सभी भाषाओं में वह छोटे-छोटे वीडियो भी तैयार कर रही है ताकि whatsapp जैसे माध्यम से कोरोना से सुरक्षित रहने की जानकारी जल्दी और आसानी से लोगों तक पहुंचाई जाए।
20 साल से शोध कार्य
प्रोफेसर रस्तोगी करीब 20 साल से तमाम लुप्त होती भाषाओं को जीवित रखने के लिए काम कर रही हैं। हाल ही में पिथौरागढ़ से आगे जलजीबी के राज़ी समुदाय के लिए भी कोरोना से बचाव का सन्देश तैयार किया है। उन्होंने बताया कि इसमें 11 गांव आते हैं और ये लोग स्थानीय लोगों से ज़रा भी सम्बन्ध नहीं रखते चूंकि ये क्षेत्र नेपाल के सम्पर्क में आता है ऐसे मे यहां कोरोना के लिए जागरूकता अभियान चलाना भी अति आवश्यक है।
32 भाषाओं में ये है कोरोना से बचाव के 6 बिंदु…..
सामाजिक दूरी बनाएंगे रखें। अगर बहुत ज़रूरी न हो तो घर से न निकलें, खेत भी न जायें घर पर ही रहें। साबुन से बार-बार 20 सेकेण्ड तक हांथ ज़रूर धोयें। खांसी, छींक आने पर मुँह पर कपड़ा या रुमाल अवश्य रखें। अगर बुखार, खांसी आदि लक्षण सामने आते हैं तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं। अपनी नाक, आँख, चेहरे आदि को बार बार न छूवें। अपने घर में या बाहर, गली आदि में न थूकें। इन संदेशों का पालन कर कोरोना के संक्रमण से बचें।